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Friday 9 March 2018

आखिरकर आरबीआइ के शिकंजे के बाद जागा केसीसीबी प्रबंधन


भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के शिकंजे के बाद कांगड़ा केंद्रीय सहकारी सीमित बैंक (केसीसीबी) बढ़ रहे एनपीए (नॉन परफॉर्मिग एसेट) पर गंभीर हुआ है। अब बैंक ने क्षमता से अधिक लोन देने पर रोक लगा दी है और साथ ही ऋण के रूप में दिए धन को वापस लेने के लिए भी प्रयास तेज कर दिए हैं। करीब दस साल से नाबार्ड बैंक प्रबंधन को सीएमए नियमों के उल्लंघन पर सचेत कर रहा था लेकिन इन्हें लगातार दरकिनार किया जाता रहा। 2008 में पहली बार नाबार्ड ने इस बारे बैंक को पत्र जारी किया था। हालांकि उस दौरान क्षमता से अधिक ऋण पर रोक भी लगी लेकिन कुछ साल बाद नाबार्ड के नियमों को भी दरकिनार किया जाता रहा। बैंक सूत्रों के अनुसार, अब इस मसले पर खुद आरबीआइ ने शिकंजा कस दिया है।






नाबार्ड ने भी लगातार सीएमए नियमों के उल्लघंन बारे रिपोर्ट आरबीआइ को भेजी थी। कुछ दिन पहले आरबीआइ ने बाकायदा बैंक के आलाधिकारियों को भी शिमला तलब किया था तथा बढ़ रहे एनपीए पर नाबार्ड के अधिकारियों के समक्ष जानकारी ली थी। इससे कुछ समय पहले आरबीआइ ने बैंक प्रबंधन को क्षमता से अधिक दिए जा रहे लोन पर पत्र भी जारी किया था। इसके बाद सितंबर से बैंक ने क्षमता से अधिक लोन देने पर रोक लगाई है। साथ ही कुछ माह में बैंक ने दिए गए लोन से करीब 25 करोड़ रिकवरी भी की है। इससे एनपीए में दो फीसद तक की कटौती की उम्मीद है।

65 लाख के लोन ने बढ़ाया तनाव
केसीसीबी में कुछ समय से करोड़ों के दिए गए लोन के बाद एनपीए बढऩे लगा था लेकिन बैंक के भीतर माहौल सामान्य ही था। बताते हैं कि बैंक के पास कुछ माह पहले ही 65 लाख के करीब एक लोन की फाइल पहुंची थी। इस लोन को पास करने केलिए अधिकारियों पर दबाव भी था, लेकिन आरबीआइ व नाबार्ड के रुख को देखते हुए इस फाइल को रोक दिया गया। ऐसी ही कुछ और फाइलों को भी बैंक के प्रबंध निदेशक ने रोक दिया। इसके बाद बैंक अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक के बीच टकराव के आसार पैदा हो गए थे। 
31 मार्च के एनपीए पर सबकी नजर
इस बार 31 मार्च को बैंक के एनपीए पर सबकी नजर है। 31 मार्च, 2017 को बैंक का एनपीए 16.25 था।  हालांकि बैंक के चेयरमैन इस एनपीए को कम बताते हैं, लेकिन बैंक प्रबंध निदेशक ने एनपीए 16.25 के करीब बताया था। ऐसे में अब इस वित्त वर्ष के आखिर में एनपीए की रिपोर्ट पर सबकी नजरें लग गई हैं। विशेषज्ञों की मानें तो बैंक के लिए अभी करीब 584 करोड़ का लोन गले की फांस बना हुआ है। 
(source Dainik Jagaran)

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